Mata Shikari Devi Temple

Author - Shata Dhar ORG Team
1 april 2023 . 6 min read

शिकारी माता मंदिर: एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल

शिकारी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के करसोग घाटी में स्थित है जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। शिकारी देवी मंदिर का स्थान हिमाचल प्रदेश में समुद्र स्‍तर से 2850 मीटर की ऊँचाई पर है। शिकारी माता मंदिर हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर मंडी शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर देवभूमि हिमाचल के प्रमुख मंदिरों में से एक है जिसे स्थानीय लोग खासा महत्व देते हैं। शिकारी माता मंदिर के नाम का इतिहास है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महर्षि मार्कण्डेय जी ने यह कई सालों तक कठिन तपस्या की थी जिनकी तपस्या से खुश होकर माँ दुर्गा जी अपनी शक्ति रूप में यह प्रकट हुई थी और बाद में इसी स्थान पर विराजमान हो गई | इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी भी है। कहा जाता है कि पांडवों और कौरवों के बीच जुआखेल के दौरान, एक महिला उन्हें खेलने से रोकने की कोशिश की, लेकिन खेल नहीं रोक पायी। खेल हारने के नतीजे में, पांडवों को अपने महल और राज्य छोड़ देना पड़ा। अपनी वनवास के दौरान, पांडव शिकारी देवी मंदिर के इलाके में पहुंचे और कुछ समय वहाँ रुके रहे। एक दिन, अर्जुन और उनके भाई एक सुंदर हिरण देखा और उसे शिकार करने का प्रयास किया, लेकिन बहुत समय तक दौड़ते-दौड़ते भी वे उसे पकड़ नहीं पाए।




आखिर क्या आकाशवाणी की थी माता ने पांडवो को ?

सारे पांडव उस मृग की चर्चा करने लगे कि वो मृग कहीं मायावी तो नही था कि तभी आकाशवाणी हुई कि मै इस पर्वत पर वास करने वाली शक्ति हूं और मैने पहले भी तुम्हे जुआ खेलते समय सावधान किया था पर तुम नही माने और इसीलिये आज वनवास भोग रहे हो । इस पर पांडवो ने उनसे क्षमा प्रार्थना की तो देवी ने उन्हे बताया कि मै इसी पर्वत पर नवदुर्गा के रूप में विराजमान हूं और यदि तुम मेरी प्रतिमा को निकालकर उसकी स्थापना करोगे तो तुम अपना राज्य पुन पा जाओगे । पांडवो ने ऐसा ही किया और उन्हे नवदुर्गा की प्र​तिमा मिली जिसे पांडवो ने पूरे विधि विधान से स्थापित किया । चूंकि माता मायावी मृग के शिकार के रूप में मिली थी इसलिये माता का नाम शिकारी देवी कहा गया । यह मंदिर उच्च ढलान पर बना हुआ है जिससे यहां से अत्यंत सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। इस मंदिर का मुख्य देवी स्थान है जो यहां की भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। शिकारी माता मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ जुटती है। नवरात्रि के उपलक्ष्य में यहां पर भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती हैं।





क्या हैं माता के नाम की कहानी ?

इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी भी है, शिकारी माता मंदिर एक ऊँचे पहाड़ पर स्थित है जहाँ चारों और घने जंगल हैं। यहाँ जंगली जानवर भी बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। कुछ लोग इसे शिकार के लिए आते थे और माता के दर्शन करने के बाद अपने शिकार में विजयी होते थे। इस वजह से मंदिर का नाम शिकारी देवी मंदिर पड़ा।




छत पर नहीं जमती हैं बर्फ

देवभूमि में कई मंदिर हैं जिनमें अभी भी कई रहस्य हैं। इन मंदिरों से जुड़ी दिव्य आस्था की कहानियां सभी को अचंभित कर देती हैं। हालांकि इन मंदिरों में वैज्ञानिक पहलू भी होते हैं, लेकिन दिव्य आस्था इन वैज्ञानिक पहलुओं से ऊपर होती है। सराज घाटी में शिकारी देवी मां का मंदिर भी ऐसा ही एक मंदिर है। यहां पर सर्दियों में छह-सात फीट तक बर्फ गिरती है, लेकिन यह भारी बर्फ माता के छत रहित मंदिर की मूर्तियों और छत पर नहीं जमती है। यह मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में भगवानी की भक्ति करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिकारी मंदिर के पुजारी काहन सिंह ने बताया कि मूर्तियों पर बर्फ नहीं जमती और इसे दैवी चमत्कार की तरह देखा जाता है। बता दें कि निचले क्षेत्रों में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है, वहीं इस मंदिर का तापमान हमेशा 10 डिग्री सैल्सियस के आसपास ही रहता है और यहां आकर श्रद्धालु अपने आप को गौरवशाली महसूस करते हैं।




माता के छत लगाने की नकाम कोशिशे

शिकारी माता का यह मंदिर मंडी में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है, जिसकी छत नहीं है। यहां पर देवी खुले आसमान के नीचे प्रतिष्ठित हैं। मंदिर में केवल दीवारों पर ही मूर्तियां स्थापित हैं। ऐसी मान्यता है कि देव छत डालकर मंदिर के भीतर रहना पसंद नहीं करतीं। देव आस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि कई बार मंदिर में छत डालने की कोशिश की गई लेकिन माता के अनुसार आज्ञा नहीं दी गई है। शिकारी देवी की प्रतिमाएं पत्थरों की एक मचान पर स्थापित हैं। शिकारी माता को योगिनी माता भी कहा जाता है। माता की नवदुर्गा मूर्ति, चामुंडा, कमरूनाग और परशुराम की मूर्तियां भी यहां पर स्थापित की गई हैं। नवरात्रों में यहां पर विशेष मेले लगते हैं।




शिकारी माता तक कैसे पहुंचे ?

शिकारी माता मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है। आप इस मंदिर को मंडी शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंडोह गाँव से जा सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए आप अपने आधार प्रमाण पत्र के साथ एक गाइड के साथ गाड़ी किराए कर सकते हैं या अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं। यदि आप खुद की गाड़ी से जा रहे हैं तो सड़क काफी स्थूल है, इसलिए सतर्क रहें। शिकारी माता मंदिर में जाने के बाद आपको शांति और आनंद की अनुभूति होगी। इस स्थान का माहौल बहुत शांतिपूर्ण है और माता शिकारी देवी की कृपा से लोगों को मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, यह स्थान आपको आकर्षित करने वाले दृश्यों के लिए भी जाना जाता है। इस स्थान के चारों ओर घने जंगल होने के कारण यहां परिवेश बहुत ही शांतिपूर्ण है।


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